Table of Contents
- शीर्षासन का अर्थ:
- शीर्षासन के लाभ |shirshasana benefits:
- शीर्षासन लगाने की विधि | Shirshasana steps –
- सावधानियां (Precautions)
शीर्षासन का अर्थ:
शीर्ष का अर्थ सिर होता है। सिर के बल किए जाने वाले आसन को संस्कृत में शीर्षासन/shirshasana कहते हैं और अंग्रेजी में “Headstand-pose” कहतेे हैं । इस आसन का योग ग्रंथो में अति महत्वपूर्ण स्थान है। यह आसन नियमित रूप से सभी योग साधक लगते हैं।
शीर्षासन के लाभ |shirshasana benefits:
- Shirshasana/शीर्षासन में सिर के बल खड़ा होने से सबसे ज़्यादा प्रभाव मस्तिष्क और उपरी अंगो पर पड़ता है। मस्तिष्क को भरपूर मात्रा में शुद्ध रक्त मिलने से बुद्धि और याददाश्त बहुत तीव्र होती है और आंख, कान, नाक आदि अंग भी स्वस्थ हो जाए हैं।
- शीर्षासन से रीढ़ की हड्डी और नस – नाड़ियां बलिष्ठ होती हैं।
- मृगी(epilepsy) , hysteria, अनिद्रा (insomnia), सनायुदौर्बल्य , कुष्ठा आदि रोगों को दूर करने में यह आसन बड़ा सहायक है।
- शीर्षासन हृदय पर तनाव को कम करता है। जरा ऐसे सोचिए, कि नीचे से पानी को उपर खीचने में कितना बल लगता है। पूरे दिन रात हमारा हृदय पावों के रक्त को खीचता रहता है। हर समय इतनी मेहनत करता है, तो शीर्षासन से हृदय को आराम करने का समय मिलता है, जिससे हृदय की शक्ति बढ़ती है। लंबे समय तक शीर्षासन के अभ्यासी को कभी भी हृदय रोग नहीं होता।
- शीर्षासन से रीढ़ की हड्डी और नस – नाड़ियां बलिष्ठ होती हैं।
- शीर्षासन के लंबे अभ्यास से बालों की समस्या भी दूर होती है। बालों का जल्दी सफेद होना, झड़ना या कमजोर पड़ जाना। बालों को लंबा ,मजबूत करने में यह आसन सिद्ध है।सिर की खुश्की या फ्यास को यह जड़ से समाप्त कर देता है।
- यह आसन नियमित करने से वीर्य संबंधित रोगों का समूल ( जड़ से) नाश होता है। शरीर का ओज बढ़ता है।
- इस आसन से पाचन शक्ति और भूख बढ़ती है। बवासीर जैसे रोग नहीं हो पाते।
- इस asana के नित्य अभ्यास से शरीर की खुश्की और कमजोरी दूर होती है। झुर्रियां मिटती हैं। इसलिए इस आसन से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में उत्साह, उमंग और उल्लास उफान मारता है दिन भर। शरीर में स्फूर्ति है।
- शीर्षासन से स्त्रियों के गर्भाशय एवम् जननेन्द्रिय के सभी रोग नष्ट होते हैं। जो नवयुवतियां इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करती हैं उनके स्वास्थ्य और सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। निश्चित ही यह आसन मुख की आभा और शरीर की सुंदरता को बढ़ाता है।
शीर्षासन लगाने की विधि | Shirshasana steps –

- सबसे पहले कोई गद्दी या मोटा कम्बल साफ हवादार स्थान पर बिछा लें।
- अब घुटनों और पंजों के बल बैठ जाइए।
- दोनों हाथो की उंगलियों को एक दूसरे में फंसाकर (interlock) भूमि पर इस प्रकार रखिए की सिर इसके सहारे लगा कर रख सकें। अब सिर को हथेलियों के बीच में धरती पर टीकाएं।
- अब उंगलियों से लेकर कोहनियां पृथ्वी पर अच्छे से जमा के रखिए और हाथो पर बल देते हुए पैरों को धीरे धीरे उठाइए और सिर के बल खड़े हो जाइए और शरीर का भार(वजन) कोहनिया, उंगलियों और सिर पर होना चाहिए।
- पैर के अंगूठे से लेकर सिर तक का भाग एक सिद्ध में तना हुआ रहना चाहिए, बिल्कुल भी ढीला नहीं। और सांस को सामान्य तरीके से लेते रहें।
- जब आसन पूरा हो जाए तो धीरे धीरे पुनः पहली स्तिथि में आ जाएं। और जितनी डर यह आसन करा है उतनी ही देर शवासन में विश्राम कीजिए।

अगर आपका संतुलन नही बनता तो आप कुछ इस प्रकार लगा सकते हैं शुरू – शुरू में जैसा इस picture में दिखाया गया है। इससे संतुलन बनाने में थोड़ी सुविधा रहती है और गिरने पर चोट का भय कम हो जाता है।
शीर्षासन लगाने का समय –
यह नए अभ्यासी को 10-20 सेकंड्स तक लगाना चाहिए। धीरे धीरे इसका समय बढ़ाना चाहिए। हर हफ्ते 30 सेकंड्स बढ़ते रहना चाहिए। और सामान्य व्यक्ति इसका समय 5 मिनट तक लेेजा सकता है और रोग विशेष में योगाचार्य के निर्देश पर इसका समय 15 मिनट लेजा सकते हैं। ध्यान रहे समय को धीरे धीरे बढ़ाना है, 6 महीने तक अभ्यास में समय को बढ़ाए। एकदम से अधिक लगाने से लाभ के बजाए हानि ही होगी।
सावधानियां (Precautions)
- Shirshasana/शीर्षासन को जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। झटके से ना तो पैरोंंको हवा में उठाएं और ना ही नीचे लाएं। गिरने का भय हो तो किसी को बगल में खड़ा करके लाएं वरना गिरने से कमर या गर्दन में मोच आ सकती है।
- इस आसन में सिर को उंगलियों के उपर नहीं रखना चाहिए। ध्यान रहे कि उंगलियां सहारे के लिए हैं, दायर के नीचे दबनी नहीं चाहिए। और कोहनियां बराबर दूरी पर होनी चाहिए।
- शुरू शुरू में दीवार के सहारे से के सकते हैं जब अभ्यास होने लग जाए तो बिना सहारे के करना शुरू करें।
- इस आसन में कभी भी सांस मुंह से नहीं लेनी है हमेशा नाक से ही लें।
- जिसके सिर में फुंसियां रहती हैं उनको भी यह आसन नहीं लगाना चाहिए।
- इस आसन को उच्च रक्तचाप व हृदय संबंधित रोगियों को नहीं लगाना चाहिए।
- जिनको पूरे साल ज़ुकाम रहता है उनको भी यह आसन नहीं लगाना चाहिए
- जिनको भयंकर कब्जी है उनको यह आसन नहीं लगाना चाहिए।
- सिर दर्द के समय यह आसन वर्जित है।
FAQs
Q.1) हमें कितने समय तक शीर्षासन करना चाहिए?
Ans.) एक नए अभ्यासी को एक बारी में लगभग 10-20 सेकंड के लिए करना चाहिए और इसे लगभग 3-4 बार दोहराना चाहिए। इसका समय धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिए। हर हफ्ते लगभग 10 सेकंड बढ़ाना चाहिए। एक नियमित योग अभ्यासी इस आसन की अवधि को 5-10 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
Q.2) क्या हम रोज शीर्षासन कर सकते हैं?Ans.)हाँ, लेकिन अगर आप किसी भी उग्र बीमारी या चोट (विशेष रूप से गर्दन / रीढ़ से संबंधित) से पीड़ित नहीं हैं और अगर समस्या कम है, आप किसी भी योगाचार्य से परामर्श कर सकते हैं
Q.3) शीर्षासन के क्या लाभ हैं?Ans.)यह दिमाग को तेज करता है, बालों को घना करता है, रीढ़ को मजबूत करता है, चेहरे की सुंदरता को बढ़ाता है और आप ऊपर दिए गए पोस्ट में इसके कई फायदे पढ़ चुके हैं।
Q.4) शरीर के किस हिस्से में शीर्षासन लाभ करता है?Ans.) यह मस्तिष्क, रीढ़ और पूरे पेट के लिए बहुत फायदेमंद है।.
Q.5) शीर्षासन कैसे करते हैं?Ans) शीर्षासन सिर के बल खड़े होकर किए जाने वाला आसन है। इसे पैरों को ऊपर आसमान की तरफ एकदम सीधा करके सिर भूमि पर रख कर किया जाता है।
Q.6) शीर्षासन कब नहीं करना चाहिए?Ans) अगर आपके सिर में अत्यधिक दर्द रहता हो तो इस आसन को नही लगाना चाहिए। भोजन करने के 3-4 घंटे तक इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए
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