धनुरासन के लाभ | Dhanurasana Benefits ,Steps and Precautions

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धनुरासन का अर्थ | Dhanurasana (Bow pose) meaning

धनुरासन शब्द धनु + आसन 2 शब्दों से मिलकर बना है, जिसमे धनु का अर्थ धनुष है , इस आसन में शरीर की आकृति धनुष के समान बनाई जाती है।

Dhanurasana श्रेष्ठ आसनों में से एक है, इस आसन से संपूर्ण शरीर का बहुत अच्छा व्यायाम (exerxise) होता है। यह आसन लाभ की दृष्टि से रीढ़ के लिए विशेष है, परंतु यह आसन संपूर्ण शरीर को ही निरोगी करने में समर्थ है। इसके अभ्यास से न जाने कितने ही रोगों का निवारण हो जाता है।

धनुसारासन के लाभ | Dhanurasana benefits

यह एक ऐसा आसन है जिसका जितना गुणगान किया जाए कम ही लगता है, क्योंकि इसे प्रतिदिन करने वाले के शरीर की ऊर्जा देख कर ही आप समझ जाएंगे, की ये आसन कितना श्रेष्ठ है , dhanurasana के अभ्यास से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं –

  • धनुरासन में सिर ,गर्दन, सीने की तरह और कमर से नीचे के ही हिस्से को उठाया जाता है, जिससे पीठ और गर्दन पुष्ट/मजबूत होती है।
  • यह गले और फेफड़ों के सभी रोगों को दूर करने में सक्षम है और फेफड़े मजबूत होते है अर्थात निरोगी होते हैं।
  • यह आसन फेफड़ों के साथ ही पसलियों को भी सशक्त बनाता है।
  • इस आसन में रीढ़ की हड्डी पीछे की तरफ मुड़ती है ,जिससे रीड की हड्डी(spine) लचीली होने लगती है अथवा रीढ़ की हड्डी की कमजोरी को भी यह आसन दूर करता है।
  • Nervous system को भी स्वस्थ करने में यह एक अचूक आसन सिद्ध होता है।
  • इस आसन में हाथो ,कंधो, जंघाओं (thighs) और पिंडलियों(calves) की muscles पर काफी जोर पड़ता है, जिससे ये सब भी बलिष्ठ होने लगती हैं।
  • इस का सबसे ज्यादा प्रभाव पाचन तंत्र(Digestive system) पर पड़ता है। इसके कुछ दिनों के अभ्यास से ही यह आसन आपके पेट संबंधित रोगों को जड़ से नष्ट काना शुरू कर देगा।
  • यह मंदाग्नि,भूख कम लगना, भोजन न पचना, पेट साफ न होना और गैस बनना इन सभी रोगों को नष्ट करने की क्षमता रखता है, कुछ महीनो तक प्रतिदिन इसके अभ्यास से आपके पेट संबंधित रोग एकदम ठीक हो जाएंगे।
  • प्रतिदिन पेट साफ रहने से शरीर में एकदम हल्कापन और स्फूर्ति आ जाती है।
  • इस आसन से शरीर भोजन के पोषक तत्व को अच्छे से सोखने लगता है, जिससे शरीर में तेज की वृद्धि होने लगती है।
  • यह पाचन क्रिया को तेज करके शरीर से चर्बी को कम करने लगता है और शरीर को सुडौल बनाता है।
  • इस आसन से आयु , बुद्धि ,तेज और ओज की प्रबल वृद्धि होती है।
  • यह pancreas को छोड़कर सभी secreting glands को शुद्ध करता है। जिससे हमारी इम्युनिटी को भी बढ़ाता है।
  • इसकी क्रिया किडनी और adrenal glands पर भी होती है जिससे हमारे शरीर का blood pressure सामान्य होने लगता है।
  • इस आसन की क्रिया गर्भाशय पर भी होती है, जिन स्त्रियों का गर्भाशय और जरायू कमजोर होता है, उन्हें इस का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
  • वात रोगी को इसका अभ्यास धीरे धीरे करना चाहिए, परंतु अवश्य करना चाहिए, यह आसन वात रोगों के लिए रामबाण है।
  • यह आसन शरीर पर बुढ़ापे की बीमारियां नही आने देता, इसलिए यह आसन चमत्कारी सिद्ध होता है।

आप भी चकित हो गए हो गए होंगे न…!!!!! इस आसन के इतने सारे लाभ देख कर।

जी हां यह आसन आपको नियमित रूप से करना चाहिए, धनुरासन सभी आयु के हर वर्ग के स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं बल्कि करना ही चाहिए।

आइए आपको अब इस दिव्य आसन को करने की विधि बताते हैं –

धनुरासन की विधि | dhanurasana steps-

चलिए बहुत पढ़ लिए dhanurasana के benefits, अब सिर्फ पढ़ने से कुछ नही होता ,अब इसको करने की बारी है😏। सबसे पहले एक कंबल या दरी बिछा लीजिए भूमि पर –

  1. कंबल पर उलटे लेट जाइए चित्त को स्थिर करने का प्रयास करें ,मन को अपने ईष्ट देव पर एकाग्र कीजिए ,और उनसे प्रार्थना 🙏😌 करें की आपके शरीर के सभी रोगों का नाश हो और आपका मन शुद्ध हो।
  2. ध्यान रहे कि आपके हाथ एकदम सीधे रहें और कमर से चिपके रहें , पैर भी एकदम सीधे ऐड़ी से ऐड़ी चिपकी रहे।
  3. अब दोनो हाथो से अपने टकनो को पकड़ें और गहरी सांस भरते हुए सिर ,गर्दन ,सीने को आगे ऊपर की तरफ उठाएं और दोनो पैरों को खींचे और ऊपर उठाएं ( ध्यान रखें कि दोनो घुटने आपस में चिपके रहें और कोहनी एकदम सीधी रहे और दृष्टि को सामने या थोड़ा ऊपर एकाग्र रखें)।
  4. प्रयास करें की नाभी का हिस्सा ही भूमि पर हो, सिर से लेकर पैरों तक धनुष की आकृति बनाएं।
  5. सिर और पैर दोनो समान ऊंचाई तक उठने का प्रयास करें जितना संभव हो सकते उतना ही।
  6. जितनी देर तक सांस को अंदर रोके रख सकते हैं उतनी देर तक प्रयास करें।
  7. अब सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे पैरों को वापिस नीचे ले आएं और गर्दन को भी नीचे लाकर माथा भूमि से टेक लें।
  8. ऐसे ही जी 4-5 बार तक करें।

Dhanurasana लगाने की अवधि।-

आरंभ में इस आसन को सिर्फ 5 – 5 सेकंड तक ही लगाएं, जब धीरे-धीरे सांस रोकने में सरलता होने लगे और शरीर लचीला होता जाए, तो इसको लगाने की अवधि बढ़ते जाएं।

जिनकी आरंभ में सांस रोकने में कठिनाई लगती है वे लोग बिना सांस रोक भी लगा सकते हैं, अर्थात सामान्य रूप से सांस लेते छोड़ते रहें और आसन को 10-10 सेकंड तक ही लगाएं।

जिनके शरीर में चर्बी के कारण या शरीर टाइट होने के कारण दोनो घुटने सटाकर वे dhanurasana नही लगा पाते , वे लोग दोनो घुटनों में 1 – 1.5 फीट तक का gap रख कर लगा सकते हैं, जैसे जैसे शरीर लचीला होता जाए वैसे वैसे घुटनों को पास लाकर लगाने का प्रयास करें। इसकी अवधि हर हफ्ते 5-5 सेकंड्स तक बढ़ाते जाएं ,और धैर्य पूर्वक बिना जोर जबरदस्ती के धीरे धीरे इसको लगाने के समय को 1 मिनट तक ले जाएं।

Dhanurasana की सावधानियां –

  • धनुरासन को कभी बल पूर्वक लगाने का प्रयास नही करें।
  • इस आसन को करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए वरना लाभ की जगह हानि अत्यधिक हो जाएगी 😑🧐।
  • कभी भी न तो झटके से सांस भरकर सिर और पैरों को उठाएं न ही वापिस नीचे लाते समय एकदम से सांस छोड़कर भूमि पर रखें, धीरे – धीरे ही लगाना चाहिए , झटके से लगाने पर हानि की संभावना प्रबल रहती है।
  • जिनके kidney या gall bladder में पथरी हो उनके लिए ये आसन पूर्णतया वर्जित है।
  • जिनके पेप्टिक अल्सर या हर्निया की शिकायत है उनके लिए भी यह आसन वर्जित है।
  • गर्भ धारण के बाद भी इसको नही लगाना चाहिए।
  • जिनके शरीर मे खासकर पेट में किसी भी चीज का ऑपरेशन हुआ हो, उनके लिए भी यह आसन 6-7 महीनो तक वर्जित है, उसके बाद भी आप डॉक्टर से परामर्श के बाद ही इस asana को लगाएं।

Conclusion:

अगर आप हमारी बताई हुई विधि से इन सभी आसनों का अभ्यास नित्य प्रतिदिन 6 से 8 महीनों तक करेंगे तो अवश्य ही आपको आपके मन के अनुरूप परिणाम अवश्य मिल जाएगा।

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